Tuesday, July 29, 2008

ख्वाहिश

चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

ख्वाहिश

यूँ तो ज़्यादा नही बस इतनी सी ख्वाहिश है
एक प्यार भरी दोस्ती की फरमाइश है
मफ्फ़ करना जो हमारी ये भूल है
एहसान आपका होगा जो हमारी दोस्ती कबूल है

4 comments:

36solutions said...

स्‍वागत

Udan Tashtari said...

बहुत बढिया.

रश्मि प्रभा... said...

kabool hai.......

सरस्वती प्रसाद said...

इतनी प्यारी ख्वाहिश,कौन नहीं मानेगा-
लिखते रहिये इसी तरह....