
ख्वाहिश
यूँ तो ज़्यादा नही बस इतनी सी ख्वाहिश है
एक प्यार भरी दोस्ती की फरमाइश है
मफ्फ़ करना जो हमारी ये भूल है
एहसान आपका होगा जो हमारी दोस्ती कबूल है
"यादें" के अंजुमन में आप का स्वागत है. जब कोई किसी को बहुत चाहता है और वो जिंदगी के किसी मोड़ पर अगर बिछड़ जाए तो उसकी यादें हमें बहुत सताती हैं. है ना???
4 comments:
स्वागत
बहुत बढिया.
kabool hai.......
इतनी प्यारी ख्वाहिश,कौन नहीं मानेगा-
लिखते रहिये इसी तरह....
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