मेरी आँखों मे तेरे दीदार की ख्वाहिश अभी तक है
तेरी यादो से मेरे दिल की ज़ेबैश अभी तक है
तुम्हारे बाद कोई भी नही आया है इस दिल मे
तुम अपना घर बना लो इतनी गुनजाईश अभी तक है।
तेरी यादो से मेरे दिल की ज़ेबैश अभी तक है
तुम्हारे बाद कोई भी नही आया है इस दिल मे
तुम अपना घर बना लो इतनी गुनजाईश अभी तक है।
निगाहे बस तुम्हे ही ढूंढती रहती है और लम्हा
रुख-ए-रोशन दिखा दो इनकी फरमाईश अभी तक है
अज़ल से तुम को चाहा है अबाद तक तुम को चाहेंग़े
मेरी उलफत की बस इतनी सी पैमाईश अभी तक है।
तुम्हारी राह मे मैने वो जो पलके बिछायी थी
न जाने किस तरह क़ायम ये ज़बैश अभी तक है।
...Ravi
'YADEIN'
http://ravi-yadein.blogspot.com/
'YADEIN'
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3 comments:
bahut achchi post
बहुत ही बढ़िया रवि, अति सुंदर...यार दूसरी के इंतजार में।
बहुत बढिया.लिखते रहें.
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