एक दिन बहारोँ के फूल मुरझा जायेगे,
जब भूले से कभी हम याद आयेगे।
अहसास होगा तुम्हे हमारी दोस्ती का,
जब दूर बहत दूर हम चले जायेगे।
आसमान को नींद आये तो सुलाऊँ कहाँ,
धरती को मौत आये तो दफ्नाऊँ कहाँ।
सागर में लहर उठे तो छुपाऊँ कहाँ,
आप जैसे दोस्त की याद आये तो जाऊँ कहा।
उम्मीद ऐसी हो जो जीने को मजबूर करदे,
राह ऐसी हो जो चलने को मजबूर करदे.
महक कभी कम न हो अपनी दोस्ती की,
यारी ऐसी हो जो मिलने को मजबूर करदे.
...रवि
'यादें'
http://ravi-yadein.blogspot.com/
3 comments:
बहुत बेहतरीन रचना है।बहुत सुन्दर!!
एक दिन बहारोँ के फूल मुरझा जायेगे,
जब भूले से कभी हम याद आयेगे।
अहसास होगा तुम्हे हमारी दोस्ती का,
जब दूर बहत दूर हम चले जायेगे।
आसमान को नींद आये तो सुलाऊँ कहाँ,
धरती को मौत आये तो दफ्नाऊँ कहाँ।
सागर में लहर उठे तो छुपाऊँ कहाँ,
आप जैसे दोस्त की याद आये तो जाऊँ कहा।
बहुत सुन्दर लिखा है। बधाई।
bahut behtareen dosti
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