Sunday, July 20, 2008

पल भर का साथ


पल भर का साथ

पल भर को आप आये और आकर चले गये
देखा भी नहीं मुझको रुला कर चले गये
चुपचाप मेरी बज़्म से जाते तो ठीक था
उंगली को मेरी समेट उठ कर चले गये
रुख पे नक़ाब डाल के आये थे आप भी
चेहरा छुपा था आँख दिखा कर चले गये
आये तो वे हाथ मे कुछ फूल थे उनके
गुलदान को काँटों से सजाकर चले गये
ज़ाहिर ना किस पर भी तर्के-ताल्लुकात
दुनिया को ये लगे की आप आकर चले गये
शोले की तरह आये थे गुलशन की बहारों में
आये तो दिन मे मगर दिल की आग बुझा ले गये।


...Ravi
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(A Great Collections of Enjoy & Knowledge)

3 comments:

Priya said...

.....शोले की तरह आये थे गुलशन की बहारों में
आये तो दिन मे मगर दिल की आग बुझा ले गये।....Very lovely dear..

'....zakham dite ishq ne
seen wala koi nahin
hanju digge naina chon mere
uhna nu peen wala koi nahin
sare dukh pa dite meri jholi rab ne
ih dukhan bhari zindagi jeen wala koi nahin'

Palak.p said...

kitna kuchh badal deta hai ek khamosh pal .....
jab sochti ki wo mere paas hai
to utna hi door tha wo pal....

Anonymous said...

Thanks Ravi for stopping by, and commenting so sweetly. I shall certainly keep in touch with you. And yes do send me your email id, so that I can add you to my friends' list. You have a fantastic blog here..gr8 work..:-)

Regards,
Anu