Friday, August 08, 2008

क्यूँ रुला गए मुझको


क्यूँ रुला गए मुझको


खताओं पे खफा होना हमें नही आता,
बिना वजह सज़ा देना हमें नही आता।
प्यार को जो तुमने मेरे गुनाह कहा है,
प्यार करके बेवफा होना हमें नही आता।
पहले दे के हँसी फ़िर क्यूँ रुला गए मुझको,
हंसती आंखों को नम करना हमें नही आता।
है नही हमारे पास हुनर दिल तोड़ने का,
दिल की कली को मुरझाना हमें नही आता।
जो आँखें सपनों की दुनिया में खोयी रहती,
आज इन आंखों को सपने दिखाना हमें नही आता।

3 comments:

L.Goswami said...

sudar kavita likhi.bhawpurn umda .bdhayi swikaren.

Udan Tashtari said...

बहुत बढिया.

Anonymous said...

Very good......