Wednesday, August 20, 2008

तुम मुझे चाहो या ना चाहो

तुम मुझे चाहो या ना चाहो

कभी हसता है प्यार,
कभी रुलाता है प्यार।
हर पल की याद दिलाता है ये प्यार।
तुम मुझे चाहो या ना चाहो,
पर आपके होने का एहसास दिलाता है ये प्यार।

गम नही वहा जहाँ हो फसाना तेरा,
खुशियाँ ढूंढती रहे आशियाना तेरा।
वो वक़्त ही ना आये जब तू उदास हो,
ये दुनियाँ भुला ना सके मुस्कुराना तेरा।

कोशिश कीजिये हमे याद करने की,
लम्हे तो अपने आप ही मिल जायेंगे।
तम्मना कीजिये हमसे मिलने की,
बहाने तो अपने आप ही मिल जायेंग़े।

...Ravi
'YADEIN'
http://ravi-yadein.blogspot.com/

2 comments:

Advocate Rashmi saurana said...

Ravi ji bhut hi sundar rachana. badhai ho.
ek baat aapke blog ke sabd bhut hi chhote hai. isse padhane me pareshani ho rhi hai. yadi aap ise sudhar sake to achha rahega.

तरूश्री शर्मा said...

अच्छा सम्पऱेषण है रवि अपने प्यार के अहसास का... ताजा रचनाओं का अहसास होता है इनमें।