ये दुआ है अतिशे इश्क़ मे
के तू मेरी तरह से जला करे
ना नसीब मे शरबत-ए-वस्ल हो
सदा ज़हर-ए-गम तू पीया करे
तेरे सामने तेरा घर जले
तेरा बस चले, तू बचा ना सके
ना खुदा दिखाये तुझे खुशी
आये खैर से वो भी दिन
तुझे चैन ना आये मेरे बिन
ना लगाऊ मै तुझे गले
मिनते तू मेरी किया करे
...Ravi
'YADEIN'
http://ravi-yadein.blogspot.com/
Wednesday, September 03, 2008
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4 comments:
लगता है बहुत शिकायत है अपनें साथी से।अपने मनोभावो को बखूबी अभिव्य्क्त किया है।
रवि जी...दुआ करता हूँ की आप की ये बद्दुआएं किसी को ना लगें....इतनी तल्खी ठीक नहीं.
नीरज
wah guru toote dil ki awaj hai, poora kissa bhi batao
बेहतरीन.....
सुन्दर.......
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